- बाबा रामदेव अपने ऊपर लिखी किताब पर भी बैन लगवा चुके हैं
- अदालत ने कहा था कि किताब पढ़कर लगता है कि बाबा ने व्यापार के लिए सारी हदें पार कर दी और वो अपराधी हैं
- पुण्य प्रसून पर साक्षात्कार के दौरान भड़क गए थे बाबा
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नोटबंदी की वजह से जहां 11 अरबपति सूची से बाहर हो गए, वहीं पतंजलि के बालकृष्ण की संपत्ति 173 प्रतिशत बढ़कर 70 हज़ार करोड़ रुपये हो गई है
(एडीटर अटैक)
वरिष्ठ टीवी पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी के आजतक चैनल से इस्तीफे के तार बाबा रामदेव से जोड़कर देखे जा रहे हैं। कुछ लोग इसे महज अफवाह बता रहे हैं तो कुछ सही भी मान रहे हैं। गौरतलब है कि पुण्य प्रसून बाजपेयी ने इस्तीफे से ठीक पहले ही बाबा रामदेव का साक्षात्कार आजतक के लिए किया था जिसमें बाबा बुरी तरह से भड़क गए थे। वो वीडियो आप यू ट्यूब में देख सकते हैं। जिसमें बाबा सीधे सीधे बोल रहे हैं कि प्रसून जी मैं आपका बड़ा सम्मान करता हूं लेकिन आप इस तरह से आरोप नहीं लगा सकते। प्रसून के कहने पर कि आप महंगी गाड़ियों में चलते हैं तो बाबा बोल पड़े कैमरे पर ही, कि चलिए बाहर मैं किसी महंगी गाड़ी से नहीं बल्कि स्कॉर्पियो से आया हूं।
इस साक्षात्कार के तुरंत बाद प्रसून की आनन फानन में विदायी हो जाती है आजतक से। ऐसी स्थिति में लोग यही कह रहे हैं कि आजतक को पतंजलि की ओर से बहुत विज्ञापन और फंडिंग मिलती है। बाबा रामदेव की आपत्ति के बाद ही प्रसून को निकाला गया है।
इस घटना के बाद एक धड़ा ये कह रहा है कि बाबा रामदेव संत हैं वो ऐसा नहीं कर सकते। हालांकि बाबा क्या क्या कर सकते हैं योग के अलावा भी ये दुनिया जानती है। ऐसे ही पतंजलि भारत की अमीर कंपनियों में शुमार नहीं हो गई। रामलीला मैदान से महिला वेश में मैदान छोड़ भागे बाबा रामदेव तब से आजतक नए नए वेश में ही नजर आ रहे हैं। कभी बाबा, कभी व्यापारी, कभी नेता तो कभी अभिनेता। अब उनपर नाटक भी प्रसारित हो रहा है।
काले धन की लड़ाई लड़ते लड़ते भाजपा औऱ संघ के नजदीक आए बाबा रामदेव सरकार की ओर से जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा में चलते हैं। कालाधन बेशक न लौटा हो पर बाबा की दुनिया सफेद हो गई।
बेशकीमती सरकारी जमीने तमाम राज्यों में उन्हें उपहार स्वरूप पतंजलि फैक्टरी के डालने के लिए मिली हुई हैं। पतंजलि की हरिद्वार स्थिति कंपनी में भी सीआईएसएफ की विशेष बटालियन को सुरक्षा के लिए लगाया गया है। तकरीबन 50 से ज्यादा कमांडो। जो कि एयरपोर्ट या मैट्रो या अति संवेदनशील शासकीय प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में लगाए जाते हैं।
बाबा का कद केंद्र सरकार में क्या है इसके सैकड़ों उदाहरण मौजूद हैं। कई बार उनकी कंपनी के प्रोडक्ट शक के घेरे में आए औऱ जांच में फेल पाए गए पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हालांकि इन सबके बीच आप ये भी जान लीजिए की बाबा रामदेव ने मुंबई की एक पत्रकार द्वारा लिखित किताब को अभी कुछेक माह पहले ही बैन करवा दिया था अदालत में अपील करके। आखिर बाबा को डर क्या है। एक किताब को बैन करवाने की बाबा को क्या जरूरत है जो पहले उन्होंने अपनी सहमति से ही लिखवाई। किताब चूंकि अब बैन ही हो गई लेकिन अदालत ने साफ साफ बोला था कि किताब इतनी मारक और प्रभावी थी कि किताब पढ़कर लगता है कि बाबा अपराधी हैं और पैसे कमाने के लिए सारी हदें उन्होंने पार कर दीं। हालांकि बाबा ने अपने कद का फायदा उठाते हुए किताब को बैन करवा दिया और सच्चाई दब गई।
हालांकि किताब पर फैसला आना है। पर भारत में फैसले आते आते निर्दोष मर जाते हैं और दोषी जिंदगी काट लेता है अय्याशी में।
नवभारत टॉइम्स की खबर कहती है कि
स्वामी रामदेव को राहत देते हुए अदालत ने उस किताब के प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगा दी है, जिसमें उनके जीवन से जुड़े तथ्यों को कथित रूप से अपमानजनक ढंग से पेश किया गया है।
अदालत ने रामदेव की मांग मंजूर करते हुए अपने आदेश में कहा कि पहली नजर में देखने से साफ है कि विवादित किताब पढ़ने पर पाठकों को लगेगा जैसे रामदेव एक अपराधी किस्म के व्यक्ति थे जिन्होंने प्रसिद्धि, सफलता और पैसा पाने के लिए हर हद पार कर दी। ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से याचिकाकर्ता की छवि को अपूर्णीय क्षति होगी। अदालत ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने से पहले ही रोक का आदेश देते हुए संबंधित पक्षों को 1 सितंबर के लिए समन किया है।